जिस भी व्यक्ति की जन्म कुंडली मे मंगल ग्रह १,४,७,८ व १२ भाव में स्थित हो तो उस व्यक्ति को मंगल दोष होता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव के कारण विवाह में देरी व दाम्पत्य जीवन मे असंतुलन पैदा होने लगता है।
शास्त्रों के अनुसार कुंडली मिलान कर मांगलिक लड़के/लड़की का विवाह मांगलिक लड़की/लड़के से ही होना चाहिए।
हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कईं बार कुंडली में १,४,७,८, व १२ भाव में मंगल होने पर भी मंगल का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति पर खत्म या आंशिक ही रह जाता है।
आप हमे जन्मदिनाँक, जन्मसमय व जन्मस्थान भेज कर आपकी कुंडली में मंगल दोष की स्थिति और मंगल दोष पूजा व उपाय सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आपकी कुंडली में मंगल दोष निकलता है तो उसका शास्त्र सम्मत समाधान कर मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को सकारात्मक प्रभाव में बदला जा सकता है ।
मंगलदोष के लक्षण
कुंडली में मंगल 1,4,7,8,12 भाव मे होता है
विवाह में देरी (अन्य ग्रह भी जिम्मेदार हो सकते है)
विवाह उपरान्त दाम्पत्य जीवन में लगातार झगड़े
पारिवारिक समस्याएं लगातार बने रहना
लगातार कर्ज बढ़ना
जमीनी कारणों से समस्या
मंगल दोष में किए जाने वाले कुछ सरल उपाय-:
•महामृत्युंजय मंत्र जप
•मां मंगला गौरी की अराधना /पूजा
•मंगलवार को हनुमान मंदिर में सुंदरकांड , बजरंग बाण पाठ
•मंगल यंत्र पूजा
•विवाह से पूर्व – भात पूजा , पीपल विवाह , कुम्भ विवाह, शालिग्राम विवाह इन उपायों से मंगल ग्रह के कारण बनने वाले वैधव्य दोष समाप्त हो जाता है
भात पूजा विशेष:
भातपूजा मंगलदोष में विशेष रूप से पंडितों द्वारा कराई जाती है इसमें भात अर्थात चावल से शिवलिंगरुपी मंगलदेव की वैदिक मंत्रों द्वारा विधि विधान से पूजा कराई जाती है प्रत्येक पूजा के अनुसार इसमें भी सर्वप्रथम गौरी गणेश पूजा कर नवग्रह पूजा और कलश पूजा कराई जाती है तदनंतर प्रधान पूजा अर्थात शिवलिंग की वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा पूजा व अभिषेक किया जाता है तदनंतर भगवान को भात अर्पित कर मंगल जाप किया जाता है अंत में भगवान से प्रार्थना कर आरती उतारी जाती है ।
भात पूजा केबल उज्जैन के अंगारेश्वर मंदिर मैं ही होती है यह मंगल ग्रह का उत्पत्ति स्थल भी माना जाता है यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां पर भात पूजा होती है यह मंदिर उज्जैन के 84 महादेव मंदिर में भी शामिल है तथा इसका वर्णन स्कंद पुराण के अवंतिका खंड में मिलता है