नवरात्र में कन्या भोजन का विशेष महत्व होता है कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है इस धरा पर कन्याएं मां शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है
दुर्गा सप्तशती के अनुसार
“कुमारीं पूजयित्या तू ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम्”
अर्थात मां भगवती की पूजा से पहले कुवांरी कन्या का पूजन करना चाहिए
(कुमारी कन्याओ का पूजन और देवी सुरेश्वरी का ध्यान करके पराभक्ति के साथ उनका पूजन करें, )
पुराणों मैं उम्र के अनुसार कन्याओं को दी गई संज्ञा :-
2 वर्ष-: कन्याकुमारी
3 वर्ष-: त्रिदेवी त्रिमूर्ति
4 वर्ष-: कल्याणी
5 वर्ष-: रोहिणी
6 वर्ष-: कालिका
7 वर्ष-: चंडिका
8 वर्ष-: शांभवी
9 वर्ष-: दुर्गा
10 वर्ष-: सुभद्रा
कन्या भोजन का समय:-
नवरात्रि में प्रत्येक दिन कन्या भोजन का विधान है नवरात्रि में प्रत्येक दिन भोजन ना करा पाने की स्थिति में अष्टमी या नवमी तिथि को 9 कन्याएं ( नवदुर्गा) व एक बालक (भैरवनाथ) को भोजन कराया चाहिए ।
कन्या भोजन के लिए कन्याओं की संख्या:-
नवरात्रि के प्रथम दिवस पर एक कन्या दूसरे दिवस पर दो कन्या इसी तरह प्रत्येक दिन एक कन्या की संख्या बढ़ाते हुए नौवें दिन नौ कन्याओं को भोजन कराने का विधान है
कन्या भोजन की विधि:-
2 वर्ष से 10 वर्ष की कन्याओं को कन्या भोजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है
सर्वप्रथम कन्याओं के घर पर जाकर उन्हें आदर सम्मान के साथ निमंत्रण देना चाहिए । कन्याओं के घर पर आने पर उनका स्वागत कर उनके चरण शुद्ध जल से धोबे तदनंतर कन्याओं का पंचोपचार विधि से पूजन करावे फिर कन्याओं के हाथ धुलाकर शुद्ध आसन पर भोजन के लिए बुलावे । मां भगवती को भोग लगाकर
कन्याओं को भोजन कराएं यथाशक्ति दान- दक्षिणा ,फल ,वस्त्र या पढ़ाई के सामान आदि प्रदान कर कन्याओं का तिलक कर उनकी विदा करें
कन्या पूजन / भोजन से लाभ:-
कन्याएं इस सृष्टि विकास के अंकुर (बीज) स्वरूप होती है कन्याओं के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती हमें कन्याओं में मां भगवती ही देखना चाहिए तथा नवरात्र में कन्या भोजन निस्वार्थ भाव से कराना चाहिए शास्त्रों में इसके विभिन्न लाभ भी बतलाए गए हैं ।
कन्या पूजन के विभिन्न लाभ है –
- प्रथम दिवस एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य प्राप्ति
- दूसरे दिन दो कन्या पूजा से मोक्ष प्राप्ति
- तीसरे दिन तीन कन्याभोज कराने से धर्म, अर्थ एवं काम पूर्ति
- चौथे दिन चार कन्याभोज से राज्यसुख
- पांचवे दिन पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या प्राप्ति
- छहवे दिन छह कन्या पूजा से 6 प्रकार की सिद्धि
- सातवें दिन सात कन्या पूजा से राज्यसुख
- आठवें दिन आठ कन्याभोज से धनसंपदा
- नौवें दिन नौ कन्याओं के पूजा से मान सम्मान
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||जय माता दी||